संवाद सार्थक और लोकहित में हो तभी खुलता है भक्ति का मार्ग -व्रजेश मणि
मनोज रूंगटा
श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन राजा परीक्षित एवं सुखदेव संवाद का वर्णन सुन भावुक हुए श्रोता
रूद्रपुर देवरिया रूद्रपुर क्षेत्र के ग्राम महेशपुर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास ब्रजेश मणि त्रिपाठी जी ने श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम स्कंध में प्रवेश करते हुए भागवत के महत्व को विस्तार से बताया
भागवत चार अक्षरों से मिल कर बना है, जो मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थों को सिद्ध करता है
और कहा कि यह भागवत चार अक्षरों से मिल कर बना है, जो मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थों को सिद्ध करता है । इसमें 18000 श्लोक हैं, जो 18 पुराणों के सार तत्व हैं। कथा में आगे शौनकादि ऋषियों के छह प्रश्नों का विस्तार देते हुए महाराज श्री ने भागवत की महिमा बताई ।
कथा व्यास ने कहा कि भागवत जी का प्रथम स्कन्ध का पहला अध्याय प्रश्न अध्याय है, जिसमें मानव जीवन को संवाद प्रक्रिया में सदैव संबद्ध रहना चाहिये। संवाद सार्थक हो और लोकहित में हो तो ही भक्ति का मार्ग खुलता है। परीक्षित जन्म के माध्यम से विश्व को यह संदेश गया कि अगर विश्वास दृढ़ हो तो ईश्वर हमारी रक्षा गर्भ से लेकर जीवन तथा मोक्ष तक करता है । आगे की कथा में परीक्षित एवं श्री शुकदेव संवाद में इस ब्रह्माँड की उत्पत्ति, सृष्टि के सृजन तथा चतुश्लोकी भागवत् का सुन्दर भाव प्रस्तुत किया, जिसमें बताया कि आदि पुरुष ईश्वर है, इस चराचर में व्याप्त भी ईश्वर हैं और प्रलय के बाद भी सिर्फ़ ईश्वर ही रहता है। सृष्टि के वृद्धि क्रम में मानसिक सृष्टि से विस्तार न होने पर ब्रह्मा जिनके आदेशानुसार मनु शतरूपा, जिनके द्वारा सृष्टि आरम्भ हुई, जिसका विस्तार इस संसार में फैला और मनु महाराज की संतान होने के नाते हम सब मानव कहलाये।
इस दौरान यजमान नरेश मणि त्रिपाठी व शारदा मणि त्रिपाठी तथा भवानीशंकर, श्यामबिहारी मिश्रा, शिवकान्त मणि, प्रेमनारायण मणि, शेषनाथ पांडेय, इन्द्रजीत मणि
जितेन्द्र मणि, रविकान्त मणि, शशिकान्त मणि, सुभाष पाण्डेय, शिवहरी त्रिपाठी, रामशंकर मणि, अशोक पांडेय, जगत नारायण पांडेय, गोपाल मणि, नेपाल मणि, रमेश मणि, राणाप्रताप सिंह, योगेन्द्र सिंह, चन्द्रभान सिंह कार्तिक मणि त्रिपाठी, किरण, कुसुम, जया सहित काफी संख्या में ग्रामीण श्रद्धालु उपस्थित थे
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